क्या चीन का भूटान के क्षेत्र पर दावा भारत के खिलाफ हर संभव मोर्चा खोलना है?

 06 Jul 2020 ( न्यूज़ ब्यूरो )
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भूटान के सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य पर चीन के दावों का भूटान के द्वारा विरोध करने के कुछ दिन बाद ही चीन ने भूटान के पूर्वी सेक्टर को सीमा विवाद से जोड़ दिया है।

भूटान और चीन के बीच अब तक सीमा निर्धारित नहीं है और सीमा विवाद सुलझाने के लिए अब तक दोनों देशों के बीच 24 बार वार्ता हो चुकी है। इनमें कभी भी पूर्वी सेक्टर के मुद्दे को चीन ने नहीं उठाया था।

भूटान के साथ सीमा विवाद में चीन की ओर से नए इलाक़ों पर दावा करने को विश्लेषक भारत को निशाना बनाकर उठाए गए क़दम के तौर पर देखते हैं।

इस समय मुख्यतः दो देश हैं, एक भारत और दूसरा भूटान जिनके साथ चीन की सीमा निर्धारित नहीं हुई है और कई सालों से इसे लेकर विवाद है। भारत के साथ नियंत्रण रेखा पर चीन का तनाव जारी है जिसमें लद्दाख में हुए हिंसक संघर्ष में बीस भारतीय सैनिकों की मौत हाल ही में हुई है।

चीन का भूटान के साथ पश्चिमी सेक्टर और पूर्वी सेक्टर पर सीमा विवाद है। इस विवाद के समाधान के लिए भूटान और चीन के बीच में सुनियोजित ढंग से बातचीत चल रही है।

भूटान में भारत के पूर्व राजदूत पवन वर्मा ने कहा कि भूटान के साथ चीन का ताज़ा सीमा विवाद भारत के रणनीतिक हितों को प्रभावित करने की कोशिश हो सकती है।

पवन वर्मा ने कहा, ''मुझे लगता है कि ये भूटान पर दबाव बनाने का चीन का तरीक़ा है। चीन जानता हैं कि भूटान के साथ जहां उसकी सीमारेखा तय होगी, ख़ासतौर पर भूटान के पश्चिम की तरफ़, जहां चीन-भूटान और भारत के बीच में एक ट्राइ-जंक्शन (चिकेन नेक) बनता है, वहां किस जगह सीमा निर्धारित हो, उससे भारत के रणनीतिक हितों पर असर होगा।''

साल 2017 में भूटान के डोकलाम को लेकर चीन और भारत आमने सामने आए थे और दोनों देशों के बीच 75 दिनों तक सैन्य गतिरोध बना रहा था। तब भी चीन ने भूटान के डोकलाम को नियंत्रण में लेने की कोशिश की थी।

भूटान में भारत के पूर्व राजदूत इंद्र पाल खोसला ने कहा कि चीन इस समय विस्तारवादी मोड में है और हर ओर दावे कर रहा है।

बीबीसी बांग्ला सेवा से बात करते हुए इंद्र पाल खोसला ने कहा, ''मेरे नज़रिए में चीन विस्तारवादी मोड में है, चीन ने भूटान के ऐसे हिस्से पर दावा ठोका है जो अब तक दोनों देशों के बीच हुई वार्ता में नहीं उठाया गया था। सीमा विवाद को लेकर भूटान और चीन के बीच 24 बार बातचीत हुई है और इस इलाक़े पर कभी चर्चा नहीं हुई है। इन सालों के दौरान चीन ने कभी भी इस इलाक़े का मुद्दा नहीं उठाया।''

उन्होंने कहा, हाल ही में चीन ने रूस के व्लादिवोस्तोक पर दावा किया गया है, ऐसा लगता है कि चीन अब ऐसी दशा में है जब वो किसी समझौते या आपसी समझ या इतिहास में हुए समझौतों पर ध्यान नहीं दे रहा है। वो अब विस्तारवादी मोड में है।''

भूटान ने सकतेंग अभ्यारण्य पर चीन के दावे का विरोध करते हुए चीन को डीमार्श जारी किया है, आमतौर पर भूटान अपने सीमा विवादों को लेकर मुखर नहीं है और कम ही टिप्पणी करता है। ऐसे में भूटान के इस राजनीतिक क़दम की वजह क्या है?

ऑब्जर्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन यानी ओआरएफ़ से जुड़े विश्लेषक मिहिर भोंसले कहते हैं कि भूटान डर महसूस कर रहा है।

भोंसले ने कहा, ''जिस इलाक़े में भूटान समझता है कि वो सीमा विवाद चीन के साथ ख़त्म कर पाया है उसमें चीन ने विवाद खड़ा किया है। भूटान आमतौर पर सीमा विवादों पर बहुत बोलता नहीं हैं। भूटान के एक ओर चीन है और दूसरी ओर भारत है।''

''आमतौर पर भूटान शांत रहता है लेकिन चीन ने भूटान के अभ्यारण्य पर सवाल उठाया तो भूटान ने चीन को डीमार्श जारी किया है, जो एक नई बात है। आमतौर पर भूटान सीमा विवादों पर टिप्पणी नहीं करता है। भूटान ने डीमार्श जारी किया है जिसका सीधा मतलब है कि भूटान ख़तरा महसूस कर रहा है।''

मिहिर भोंसले का मानना है कि भूटान के साथ सीमा विवाद को हवा देने का मक़सद भारत को परेशान करना भी हो सकता है।

उन्होंने कहा, ''भारत के पड़ोस में भूटान एकमात्र ऐसा देश है जो हमेशा भारत के साथ रहा है, जबकि चीन के साथ भूटान के राजनयिक रिश्ते भी नहीं है। चीन को लगता है कि भूटान को परेशान करके वह भारत को तनाव दे सकता है।''

''डोकलाम में भी हमने देखा कि भूटान की ज़मीन पर चीन ने दावा किया था जिसके बाद भारत के साथ तनाव बढ़ गया था। ऐसा लगता है कि चीन भूटान का हाथ मरोड़कर भारत को दर्द देना चाहता है।''

2017 में जब चीन ने भूटान की ओर क़दम बढ़ाया था तो भारतीय सेना बीच में आ गई थी। भारत और चीन के बीच डोकलाम में 75 दिनों तक सैन्य तनाव रहा था। क्या ताज़ा विवाद उस स्थिति तक पहुंच सकता है?

पवन वर्मा ने कहा, ''ये संभव है कि ये विवाद डोकलाम जैसी स्थिति तक पहुंच जाए, लेकिन ज़रूरी नहीं कि ऐसा हो ही। भारत और भूटान के बीच बेहद क़रीबी रिश्ते हैं। चीन के साथ भूटान के राजनयिक रिश्ते भी नहीं है।''

''चीन की ये कोशिश होगी कि भूटान पर दबाव डालकर अपने नक़्शे क़दम पर चलाए और भारत पर दबाव बनाए। लेकिन मुझे लगता नहीं कि ऐसा होगा। लेकिन अगर भूटान पर और दबाव बढ़ेगा तो भारत को भूटान के साथ खड़ा होना होगा।''

मिहिर भोंसले ने कहा, ''यदि भूटान के साथ चीन का सीमा विवाद और बढ़ा तो एक बार फिर डोकलाम जैसा स्टेंड ऑफ़ हो सकता है। डोकलाम भारत, चीन और भूटान के बीच एक ट्राइ जंक्शन हैं, उसके अलावा सकतेंग अभ्यारण्य अरुणाचल सीमा के बहुत क़रीब है, वहां भी एक ट्राइ जंक्शन एरिया बन सकता है। यहां भविष्य में तनाव और बढ़ सकता है।''

पवन वर्मा का मानना है कि भारत के साथ सीमा विवाद में उलझा चीन भारत के पड़ोसी देशों का इस्तेमाल भारत पर दबाव बनाने के लिए कर रहा है। ये चीन की एक जानी मानी रणनीति है।

वहीं मिहिर भोंसले का मानना है कि भूटान पर दबाव बनाना चीन का रणनीतिक फ़ैसला हो सकता है। अभी जो भूटान के साथ विवाद है वो कोई बहुत बड़ी बात नहीं थी। भूटान सकतेंग अभ्यारण्य में ग्लोबल एन्वायरंमेंट फ़ंड का इस्तेमाल करना चाहता था जिसका चीन ने विरोध कर दिया। इससे संकेत मिलता है कि चीन भारत के ख़िलाफ़ हर संभव मोर्चे पर प्रयास कर रहा है।

 

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