दिल्ली नगर निगम में जीत के बाद भी क्या आम आदमी पार्टी का मेयर होगा?

 08 Dec 2022 ( न्यूज़ ब्यूरो )
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दिल्ली नगर निगम चुनाव में बुधवार, 7 दिसम्बर 2022 को हुई मतगणना में आम आदमी पार्टी को बहुमत मिल गया है। दिल्ली नगर निगम पर भारतीय जनता पार्टी का 15 सालों से नियंत्रण था।

लेकिन कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के पार्षदों की संख्या में बहुत बड़ा अंतर नहीं है, इसलिए मेयर किसका होगा इसे लेकर अब भी स्थिति स्पष्ट नहीं है।

दिल्ली नगर निगम के कुल 250 वॉर्डों में से आम आदमी पार्टी को 134 पर जीत मिली है। बीजेपी को 104 वॉर्डों में और कांग्रेस को 9 में जीत मिली है. तीन वॉर्डों में निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली है।

लेकिन भारतीय जनता पार्टी के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के राष्ट्रीय प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा है, ''दिल्ली में मेयर कौन होगा यह पार्षदों के मतदान पर निर्भर करेगा कि वे किस तरह से वोट करते हैं। मिसाल के तौर पर चंडीगढ़ में बीजेपी का मेयर है।''

साल 2021 में चंडीगढ़ नगर निगम में आम आदमी पार्टी को जीत मिली थी, लेकिन मेयर बीजेपी का बना था। ऐसा कांग्रेस के पार्षदों की बग़ावत और आम आदमी पार्टी के कुछ पार्षदों के वोट अमान्य क़रार दिए जाने की वजह से हुआ था।

दिल्ली बीजेपी प्रमुख आदेश गुप्ता ने कहा है, ''काँटे की टक्कर में भले वे मुझसे आगे निकल गए हैं, लेकिन यह वक़्त बताएगा कि मेयर किसका होगा। मेयर के चुनाव में पार्षद अपना वोट अपनी अन्तरात्मा की आवाज़ पर देते हैं।''

एक मेयर और उपमेयर का चुनाव सालाना होता है और इसमें पहला साल महिला के लिए रिज़र्व होता है और तीसरे साल अनुसूचित जाति के लिए।

आम आदमी पार्टी के सूत्रों ने अंग्रेज़ी अख़बार टेलिग्राफ़ से कहा है, ''दलबदल को भी बेअसर करने के लिए हमें कम से कम 150 पार्षदों की ज़रूरत पड़ेगी। हम तभी अपना मेयर बनाए रख सकते हैं। लेकिन बड़ी संख्या में मुसलमानों ने कांग्रेस का रुख़ किया और कुछ इलाक़ों में वोट बँट जाने से बीजेपी को फ़ायदा हुआ है।

हमें लगता है कि कांग्रेस के क़रीब तीन पार्षद और दो निर्दलीय बीजेपी के साथ जाएंगे। हमारे सभी नेता पार्षदों के संपर्क में हैं ताकि वे हमारे साथ बने रहें। हम इस बात से वाक़िफ़ हैं कि हमारे कुछ संभावित मेयर उम्मीदवार को बीजेपी टारगेट कर सकती है।

अगर हमारे पार्षदों को ख़रीदने की कोशिश की जाएगी तो हम भी बीजेपी पार्षदों को अपनी तरफ़ लाने की कोशिश करेंगे.''

2020 के दिल्ली दंगों में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाक़े प्रभावित हुए थे। इसके अलावा ओखला और शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन बिल के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन आयोजित किया गया था।

इन इलाक़ों में लोगों ने कांग्रेस को वोट किया है। दंगों के दौरान आम आदमी पार्टी की सरकार को तमाशबीन के तौर पर देखा गया था। दंगों के ठीक बाद 2020 में ही दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए थे। साल 2022 की शुरुआत में दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाक़े में सांप्रदायिक तनाव फैला तब भी आम आदमी पार्टी पर चुप रहने का आरोप लगा था।

टेलिग्राफ़ ने लिखा है कि आम आदमी पार्टी ने जहांगीरपुरी में सांप्रदायिक हिंसा के लिए बांग्लादेशी और रोहिंग्या को ज़िम्मेदार ठहराया था, लेकिन उसके कोई ठोस सबूत नहीं मिले थे। पुरानी दिल्ली के मुस्लिम वॉर्ड में आम आदमी पार्टी को जीत मिली है।

जीत के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपने समर्थकों को संबोधित किया और उनका टोन मेलजोल वाला था।

केजरीवाल बिल्कुल ही आक्रामक नहीं थे। केजरीवाल ने कहा कि वह दिल्ली की बेहतरी के लिए कांग्रेस और बीजेपी के साथ मिलकर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली को बेहतर बनाने में केंद्र सरकार की अहम भूमिका होती है और वह सहयोग की उम्मीद करते हैं। केजरीवाल ने कहा कि वह केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी का आशीर्वाद चाहते हैं ताकि दिल्ली को मिलकर आगे बढ़ाया जा सके।

इस बार के दिल्ली नगर निगम चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 11.7 प्रतिशत रहा। 2017 के दिल्ली नगर निगम चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 21.1 प्रतिशत रहा था। लेकिन 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से तुलना करें तो कांग्रेस का वोट शेयर इस नगर निगम चुनाव में 4.3 फ़ीसदी ज़्यादा है।

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में कचरों के तीन पहाड़ों को हटाने का वादा किया है। दूसरी तरफ़ कांग्रेस और बीजेपी दिल्ली सरकार को भ्रष्टाचार के मामले में घेरती दिखी थीं।

दिल्ली नगर निगम में बीजेपी पारंपरिक रूप से मज़बूत रही है। ऐसा तब भी रहा जब बीजेपी दिल्ली विधानसभा चुनाव हारती रही। हाल में मोदी सरकार ने संसद से एक संशोधन पास किया था जिसमें दिल्ली नगर निगम पर केंद्र का नियंत्रण बढ़ गया था। इससे पहले दिल्ली नगर निगम के वित्त मामलों पर अधिकार दिल्ली सरकार का होता था।

दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एक बनाने के बाद यह पहला चुनाव हुआ है। 2012 में बीजेपी को तीनों निगमों में जीत मिली थी। 2012 में ही दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बाँटा गया था। दिल्ली नगर निगम में चुनाव अप्रैल 2022 में ही होना था।

लेकिन केंद्र सरकार ने दिल्ली नगर निगम को तीन के बदले एक कर दिया था। इसके साथ ही परिसीमन भी किया गया और 272 वॉर्डों के बदले 250 वॉर्ड कर दिए गए।

 

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