अमरीकी दवा कंपनी मायलिन एनवी ने कहा है कि वो एक अन्य अमरीकी दवा निर्माता गिलिएड साइंसेज़ की एंटी-वायरल दवा रेमडेसिविर का जेनेरिक वर्ज़न भारतीय बाज़ार में लॉन्च करेगी जिसकी क़ीमत 4,800 रुपए होगी।
कोविड-19 के रोगियों पर परीक्षण के बाद डॉक्टरों ने पाया था कि एंटी-वायरल दवा रेमडेसिविर संक्रमित लोगों को जल्द ठीक होने में मदद करती है।
मायलिन एनवी ने भारतीय बाज़ार के लिए रेमडेसिविर की जो क़ीमत तय की है, वो अमीर देशों की तुलना में क़रीब 80 प्रतिशत कम है।
कैलिफ़ोर्निया स्थित गिलिएड साइंसेज़ ने कई जेनेरिक दवा निर्माताओं के साथ क़रार किया है ताकि रेमडेसिविर को क़रीब 127 विकासशील देशों में मुहैया कराया जा सके।
पिछले महीने ही, दो भारतीय दवा निर्माता कंपनियों - सिप्ला और हेटेरो लैब्स ने रेमडेसिविर का जेनेरिक वर्ज़न भारत में लॉन्च किया था। सिप्ला ने अपनी दवा सिपरेमी की क़ीमत पाँच हज़ार से कुछ कम तय की जबकि हेटेरो लैब्स ने अपनी दवा कोविफ़ोर की क़ीमत 5,400 रुपये तय की है।
पिछले सप्ताह ही गिलिएड साइंसेज़ ने बताया था कि विकसित देशों के लिए इस दवा को महंगा रखा गया है और अगले तीन महीने तक लगभग सारी रेमडेसिविर अमरीका में ही बेचने का क़रार हुआ है।
मायलिन एनवी के अनुसार, यह क़ीमत 100 मिलीग्राम वायल (शीशी) की है। लेकिन यह अभी स्पष्ट नहीं है कि एक मरीज़ के इलाज में ऐसी कितनी वायल लगेंगी।
गिलिएड साइंसेज़ के अनुसार, एक मरीज़ को अगर पाँच दिन का कोर्स दिया जाता है तो उसके लिए कम से कम रेमडेसिविर की छह वायल लगती हैं।
कोविड के मरीज़ों में इस दवा के बेहतर नतीजे दिखने के बाद से ही इसकी डिमांड बढ़ी हुई है।
मायलिन एनवी ने कहा है कि वो जेनेरिक रेमडेसिविर का निर्माण भारतीय प्लांट में ही करने वाले हैं और इस कोशिश में भी लगे हैं कि कम आय वाले क़रीब 127 देशों के लिए भी लाइसेंस लेकर दवा सप्लाई कर सकें।
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया ने मायलिन की रेमडेसिविर को डेसरेम (DesRem) के नाम से मंज़ूर किया है।
भारत इस समय दुनिया का तीसरा ऐसा देश है जहाँ संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले दर्ज किये गए हैं।
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