हामिद अंसारी का 'धार्मिक कट्टरता' और 'आक्रामक राष्ट्रवाद' को महामारी कहने पर हंगामा

 22 Nov 2020 ( न्यूज़ ब्यूरो )
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भारत के पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी के कुछ बयानों से दक्षिणपंथी रुझान रखने वाले वर्ग में थोड़ी नाराज़गी है।

दरअसल, एक वर्चुअल कार्यक्रम में 20 नवंबर 2020 को हामिद अंसारी ने कहा था कि 'कोरोना महामारी संकट' से पहले ही भारतीय समाज दो अन्य महामारियों- 'धार्मिक कट्टरता' और 'आक्रामक राष्ट्रवाद' का शिकार हो चुका था।

इसी में जोड़ते हुए अंसारी ने यह भी कहा था कि इन दोनों के मुक़ाबले 'देश प्रेम' ज़्यादा सकारात्मक अवधारणा है क्योंकि यह सैन्य और सांस्कृतिक रूप से रक्षात्मक है।

लेकिन उनका यह बयान एक ख़ास वर्ग को ख़राब लगा है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही है। लोग लिख रहे हैं कि भारत के कुछ सबसे बड़े पदों पर रह चुके हामिद अंसारी की राष्ट्रवाद के बारे में यह सोच अशोभनीय है।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश स्तर के प्रवक्ता गौरव गोयल ने ट्विटर पर लिखा है, ''कांग्रेस की हक़ीक़त एक बार फिर सामने आयी। ये वो शख़्स हैं जिन्हें पक्षपातपूर्ण रुख़ रखने वाली कांग्रेस पार्टी ने इस देश का उप-राष्ट्रपति बनाया था।''

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने अंसारी के बयान पर कहा कि हिन्दुत्व कभी भी कट्टरपंथी नहीं रहा। हिन्दुत्व हमेशा सहिष्णु रहा है। हिन्दुत्व इस देश की एक प्राचीन जीवनशैली है। हिन्दुओं ने कभी किसी पर या किसी देश पर हमला नहीं किया।

हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने अंसारी के बयान को सही ठहराया है। कांग्रेस के नेता तारिक़ अनवर ने कहा कि बीजेपी को अंसारी के बयानों से ख़ास दिक़्क़त इसलिए है क्योंकि वो सीधे तौर पर बीजेपी और संघ परिवार के एजेंडे को निशाना बनाता है।

पूर्व उप-राष्ट्रपति अंसारी ने यह बातें कांग्रेस नेता शशि थरूर की नई क़िताब 'द बैटल ऑफ़ बिलॉन्गिंग' के डिजिटल विमोचन के मौक़े पर कही थीं।

क़िताब विमोचन के मौक़े पर उन्होंने भारत के मौजूदा हालात को लेकर चिंता ज़ाहिर की। साथ ही उन्होंने कहा था कि 'आज देश ऐसी विचारधाराओं से ख़तरे में दिख रहा है जो देश को 'हम और वो' की काल्पनिक श्रेणी के आधार पर बाँटने की कोशिश करती हैं'।

अंसारी ने कहा कि ''राष्ट्रवाद के ख़तरों के बारे में बहुत बार लिखा गया है।  इसे कुछ मौक़ों पर 'वैचारिक ज़हर' तक कहा गया है जिसमें व्यक्तिगत अधिकारों को हस्तांतरित करने और स्थानांतरित करने में कोई संकोच नहीं किया जाता।''

हामिद अंसारी ने कार्यक्रम में यह भी कहा था कि ''चार सालों के कम समय में भी भारत ने एक 'उदार राष्ट्रवाद' के बुनियादी नज़रिए से 'सांस्कृतिक राष्ट्रवाद' की एक ऐसी नई राजनीतिक परिकल्पना तक का सफ़र तय कर लिया जो सार्वजनिक क्षेत्र में मज़बूती से घर कर गई है।''

किताब विमोचन के मौक़े पर हुई चर्चा में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने भी हिस्सा लिया।

उन्होंने भी इस मौक़े पर कहा कि 1947 में हमारे पास मौक़ा था कि हम पाकिस्तान के साथ चले जाते, लेकिन मेरे पिता और अन्य लोगों ने यही सोचा था कि दो राष्ट्र का सिद्धांत हमारे लिए ठीक नहीं है।

फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा कि मौजूदा सरकार देश को जिस तरह से देखना चाहती है उसे वो कभी स्वीकार करने वाले नहीं हैं। 

 

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