पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ को मौत की सज़ा

 17 Dec 2019 ( न्यूज़ ब्यूरो )
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पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ को इस्लामाबाद की विशेष कोर्ट ने देशद्रोह के मामले में मौत की सज़ा सुनाई है।

मुशर्रफ़ अभी पाकिस्तान में नहीं हैं और दुबई में अपना इलाज करा रहे हैं।  कुछ दिन पहले मुशर्रफ़ ने एक वीडियो जारी कर अपने ख़राब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कहा था कि जाँच आयोग उनके पास आएं और देखें कि वो अभी किस हाल में हैं।

संविधान की अवहेलना और गंभीर देशद्रोह के मुक़दमे पर उन्होंने कहा था, "यह मामला मेरे विचार में पूरी तरह से निराधार है। देशद्रोह की बात छोड़ें, मैंने तो इस देश की बहुत सेवा की, युद्ध लड़े हैं और दस साल तक देश की सेवा की है।''

विशेष कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने बहुमत से ये फ़ैसला सुनाया।

मुशर्रफ़ ने वीडियो जारी करते हुए कहा था कि संविधान की अवहेलना के मामले में उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।

उन्होंने कहा था, "न्यायालय मेरे वकील सलमान सफ़दर तक को नहीं सुन रही है। मेरे विचार में यह बहुत ज़्यादती हो रही है और मेरे साथ न्याय नहीं किया जा रहा।''

उन्होंने माँग की कि इस आयोग को न्यायालय में सुना जाए और उनके वकील को भी सुना जाए। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनके साथ न्याय किया जाएगा।

मुशर्रफ़ की क़ानूनी सलाहकार टीम के सदस्य अख़्तर शाह ने कोर्ट के बाहर संवाददाताओं से कहा, "ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। एक आदमी इस मुल्क के अंदर आना चाहता है, लेकिन उसे (परवेज़ मुशर्रफ़ को) आने नहीं दिया गया। उसके साथ सरकार ने ज्यादती की है।''

मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ ये मुक़दमा पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने किया था जब उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) 2013 में दोबारा सत्ता में आई थी।

छह साल तक चले मुक़दमे के बाद न्यायाधीश वक़ार सेठ ने तीन सदस्यों वाली विशेष सैन्य अदालत का फ़ैसला सुनाया। दो न्यायाधीशों में से एक ने मौत की सज़ा के फ़ैसले का विरोध किया।

मुशर्रफ़ अब तक केवल एक ही बार सुनवाई में शामिल हुए हैं जब उनके ख़िलाफ़ आरोप तय हुए थे।

अब उनके पास फ़ैसले को चुनौती देने के लिए 30 दिन का वक़्त है। मगर इसके लिए उन्हें अदालत में उपस्थित होना पड़ेगा।

इस्लामाबाद की विशेष न्यायालय ने 31 मार्च, 2014 को देशद्रोह के एक मामले में पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख और राष्ट्रपति जनरल (रिटायर्ड) परवेज़ मुशर्रफ़ को अभियुक्त बनाया था।

वह पाकिस्तान के इतिहास में पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिनके विरुद्ध संविधान की अवहेलना का मुक़दमा चला।

दरअसल, पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) 2013 के चुनावों में जीत के बाद सरकार में आई। नवाज़ शरीफ ने प्रधानमंत्री बनने के बाद पूर्व सैनिक राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ संविधान की अवहेलना का मुक़दमा दायर किया।

पूर्व सैन्य राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ एक गंभीर देशद्रोह मामले की सुनवाई करने वाली विशेष न्यायालय के चार प्रमुख बदले गए थे।

परवेज़ मुशर्रफ़ केवल एक बार विशेष न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हुए जब उन पर आरोप लगाया गया था। उसके बाद से वो कभी कोर्ट में पेश नहीं हुए।

इस बीच मार्च 2016 में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर मुशर्रफ़ विदेश चले गए। तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) ने एक्ज़िट कंट्रोल लिस्ट से उनका नाम हटा लिया था जिसके बाद उन्हें देश छोड़कर जाने की अनुमति दे दी गई थी।

जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने अक्तूबर 1999 में सैन्य विद्रोह कर पाकिस्तान की सत्ता अपने हाथ में ले ली थी।

2001 के जून में जनरल मुशर्रफ़ ने सैन्य प्रमुख रहते हुए स्वयं को राष्ट्रपति घोषित कर दिया था।

2002 के अप्रैल में एक विवादास्पद जनमत संग्रह करवाकर मुशर्रफ़ और पाँच साल के लिए राष्ट्रपति बन गए।

2007 के अक्तूबर-नवंबर में मुशर्रफ़ ने फिर से राष्ट्रपति चुनाव जीता। मगर उनके चुनाव को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। इसके बाद उन्होंने देश में आपातकाल लागू कर दिया और मुख्य न्यायाधीश जस्टिस इफ़्तिख़ार चौधरी की जगह एक नया मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया जिसने उनके चुनाव पर मुहर लगा दी।

2008 के अगस्त में मुशर्रफ़ ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा दे दिया। दो मुख्य सत्ताधारी पार्टियों के द्वारा उनके ख़िलाफ़ महाभियोग लाने के कारण उन्होंने सहमति के बाद इस्तीफ़े का फ़ैसला किया।

 

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