ईरान परमाणु गतिविधि बढ़ाएगा, परमाणु वैज्ञानिक की मौत के बाद नया क़ानून बनाया

 03 Dec 2020 ( न्यूज़ ब्यूरो )
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ईरान की संसद में एक नया कानून पारित किया गया है जिसके तहत देश के परमाणु केंद्रों पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से किए जाने वाले निरीक्षण पर रोक लगा दी गई है और साथ ही ईरान अब यूरेनियम संवर्धन को भी आगे बढ़ाएगा।

इस नए क़ानून के आने के बाद ईरान सरकार 20 फ़ीसदी तक यूरोनियम संवर्धन दोबारा शुरू कर सकेगी जिसे साल 2015 के परमाणु समझौते में 3.67% तक सीमित कर दिया गया था।

2015 के समझौते के अनुसार, ईरान अपनी संवेदनशील परमाणु गतिविधियों को सीमित करने और अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों को आने की अनुमति दी थी। इसके बदले में ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को ख़त्म किया गया था।

हालाँकि, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने इस क़ानून को मंज़ूरी मिलने से पहले कहा कि वह इस नए कानून से असहमत हैं क्योंकि इससे कूटनीति को नुक़सान पहुँचेगा।

ईरानी सांसदों ने ये नया क़ानून ईरान के मुख्य परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह की बीते 27 नवंबर 2020 को हुई हत्या के बाद बनाया है।

ईरान का मानना है कि इज़राइल और एक निर्वासित विपक्ष ने मिलकर एक रिमोट-कंट्रोल हथियार से फ़ख़रीज़ादेह पर हमला किया। फ़ख़रीज़ादेह को ईरान के परमाणु कार्यक्रम का मुख्य कर्ताधर्ता माना जाता था।

ईरान सरकार बार-बार इस बात पर ज़ोर देती रही है कि उसकी सभी परमाणु गतिविधियां शांतिपूर्ण ही रही हैं। पश्चिमी देशों ने कड़े प्रतिबंध के ज़रिए ईरान को परमाणु हथियारों को विकसित करने से रोका।

ईरान का नया क़ानून क्या कहता है?

ईरान के गार्डियन काउंसिल के पारित नए क़ानून के मुताबिक़ 2015 के समझौते में शामिल ब्रिटेन, फ़्रांस, जर्मनी जैसे यूरोपीय देशों को ईरान के तेल पर लगे प्रतिबंध और आर्थिक प्रतिबंधों में ढील देने के लिए दो महीने का वक़्त दिया गया है।

ये प्रतिबंध 2018 में ट्रंप प्रशासन के परमाणु समझौते से बाहर निकलने के बाद लगाए गए थे।

अगर दो महीने के भीतर इस दिशा में काम शुरू नहीं किया गया तो ईरान सरकार अपना यूरेनियम संवर्धन 20 फ़ीसदी तक बढ़ा देगी और अपने नतांज़ और फोरदो परमाणु केंद्र पर नई तकनीक से लैस अपकेंद्रण यंत्र बनाएगी जहां यूरोनियम का संवर्धन किया जाएगा।

इस कानून के तहत संयुक्त राष्ट्र, ईरान के परमाणु केंद्रों का निरीक्षण भी नहीं कर सकेगा।

ईरानी समाचार एजेंसी फ़ार्स के मुताबिक़ 02 दिसंबर 2020 को एक चिट्ठी के ज़रिए ईरान की संसद के प्रवक्ता ने औपचारिक तौर पर राष्ट्रपति रूहानी से इस नए कानून को लागू करने की अपील की है।

इस कानून को मंज़ूरी मिलने के पहले ही ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा था कि उनकी सरकार इस नए कानून से सहमत नहीं हैं। उन्होंने इस कानून को देश की ''कूटनीति के लिए नुक़सानदेह'' बताया था।

परमाणु डील पर डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन की अलग राय

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने 2018 में परमाणु समझौते को रद्द कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वो ईरान से नया समझौता करना चाहते हैं जो उसके परमाणु कार्यक्रम और बैलिस्टिक मिसाइल के विकास पर अनिश्चितकालीन रोक लगाएगा। इसके बदले अमेरिका ने ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाए।

वहीं दूसरी ओर अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि वह ओबामा सरकार के समय हुए परमाणु समझौते को दोबारा लागू करेंगे और अगर ईरान 'परमाणु समझौते का कड़ाई से पालन करता है' तो ईरान पर लगाए प्रतिबंध हटाए जाएंगे।

बाइडन 20 जनवरी, 2021 को अमेरिका के राष्ट्रपति की शपथ लेंगे।

जुलाई, 2019 में ही ईरान ने परमाणु हथियार बनाने के लिए 3.67 प्रतिशत संवर्धित यूरेनियम की सीमा बढ़ाकर 4.5% कर दी थी।

कम संवर्धित तीन से पाँच प्रतिशत घनत्व वाले यूरेनियम के आइसोटोप U-235 को ईंधन की तरह इस्तेमाल करके बिजली बनाई जा सकती है।

हथियार बनाने के लिए जो यूरेनियम इस्तेमाल होता है वह 90 प्रतिशत या इससे अधिक संवर्धित होता है।

साल 2015 की परमाणु डील ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए किया गया था और इसके बदले ईरान पर लगे प्रतिबंधों को ख़त्म किया गया था। इस परमाणु समझौते पर ईरान के साथ अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, जर्मनी, फ़्रांस और चीन ने भी दस्तख़त किये थे।

 

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