भारत में मुसलमानों और उनके पवित्र स्थल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए: ओआईसी

 24 Dec 2019 ( न्यूज़ ब्यूरो )
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मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर भारत में ही केवल विरोध नहीं हो रहा है बल्कि इस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ भी आ रही हैं।

रविवार को इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) ने भी इस पर बयान जारी किया है। ओआईसी के महासचिव युसूफ़ बिन अहमद बिन अब्दुल रहमान की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत के हालिया घटनाक्रम पर उनकी नज़र बनी हुई है।

ओआईसी के 60 मुस्लिम बहुल देश सदस्य है। अपने बयान में ओआईसी ने कहा है, ''भारत के हालिया घटनाक्रम को हम क़रीब से देख रहे हैं। कई चीज़ें ऐसी हुई हैं, जिनसे अल्पसंख्यक प्रभावित हुए हैं। नागरिकता के अधिकार और बाबरी मस्जिद केस को लेकर हमारी चिंताएं हैं। हम फिर से इस बात को दोहराते हैं कि भारत में मुसलमानों और उनके पवित्र स्थल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।''

ओआईसी ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों और दायित्वों के अनुसार बिना किसी भेदभाव के अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मिलनी चाहिए।  ओआईसी ने कहा कि अगर इन सिद्धांतों और दायित्वों की उपेक्षा हुई तो पूरे इलाक़े की सुरक्षा और स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।

ओआईसी पर सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों का दबदबा है।  इस्लामिक देशों के बीच इस संगठन की प्रांसगिकता पर भी सवाल उठते रहे हैं। 19-20 दिसंबर को मलेशिया में कुआलालंपुर समिट हुआ और इसमें इस्लामिक दुनिया की आवाज़ को नया मंच देने की भी बात हुई है।  

सऊदी अरब को डर है कि कहीं ओआईसी के समानांतर कोई दूसरा इस्लामिक संगठन खड़ा न हो जाए और उसका प्रभुत्व कम हो जाए।  इसीलिए सऊदी अरब और उसके सहयोगी देश संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन इस बैठक में नहीं गए थे।

कुआलालंपुर समिट में पाकिस्तान को भी जाना था लेकिन सऊदी अरब ने जाने से रोक दिया था। ऐसा तब है जब कुआलालंपुर समिट की बात तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन, पाकिस्तानी पीएम इमरान और मलेशिया के पीएम महातिर मोहम्मद के बीच तय हुई थी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने मलेशिया के पीएम का इस समिट में आने का आमंत्रण स्वीकार भी स्वीकार कर लिया था लेकिन वो सऊदी के दबाव में नहीं गए।

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन इस समिट में पहुंचे थे और उन्होंने कहा था कि पाकिस्तानी पीएम इमरान ख़ान सऊदी अरब के दबाव में मलेशिया नहीं आ पाए थे।

तुर्की के अख़बार डेली सबाह ने राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन का बयान छापा था जिसमें उन्होंने कहा था, ''सऊदी अरब ने पाकिस्तान को आर्थिक प्रतिबंध की धमकी दी थी इसलिए इमरान ख़ान मलेशिया नहीं आए।''

कई विश्लेषकों का कहना है कि सऊदी अरब इस बात से डरा हुआ है कि ओआईसी के समानांतर कोई और संगठन न खड़ा हो जाए।

इस समिट में सऊदी के सारे प्रतिद्वंद्वी आए थे। ईरान, क़तर और तुर्की इस समिट में आए थे और तीनों देशों के संबंध सऊदी अरब से अच्छे नहीं हैं।  पाकिस्तान का सऊदी से अच्छा संबंध है लेकिन मलेशिया ने कश्मीर मसले पर पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया था। सऊदी अरब कश्मीर के मसले पर चुप ही रहता है।

सऊदी अरब की न्यूज़ एजेंसी एसपीए के अनुसार सऊदी के किंग सलमान ने मलेशियाई पीएम महातिर मोहम्मद को फ़ोन कर कहा था कि इस्लामिक दुनिया से जुड़ी समस्याओं पर बात ओआईसी के मंच पर ही होनी चाहिए।

डेली सबाह के अनुसार राष्ट्रपति अर्दोआन ने तुर्की के स्थानीय मीडिया से कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है जब सऊदी ने किसी देश पर कोई काम नहीं करने के लिए दबाव डाला हो।

अर्दोआन ने पाकिस्तान के नहीं आने पर कहा, ''दुर्भाग्य से हम देख रहे हैं कि सऊदी ने पाकिस्तान पर दबाव बनाया। सऊदी में 25 लाख से ज़्यादा पाकिस्तानी काम करते हैं। अगर पाकिस्तान नहीं मानता तो वहां काम करने वाले पाकिस्तानियों को वापस भेज दिया जाता और ये काम बांग्लादेश के लोगों को दे दिया जाता। इसके साथ ही सऊदी के शाही शासन ने आर्थिक मदद वापस लेने की धमकी दी थी।''

पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भी ट्वीट कर नागरिकता क़ानून को मुसलमानों के ख़िलाफ़ बताया है। उन्होंने ये भी कहा है कि भारत में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ बढ़ रहे विरोध-प्रदर्शन के कारण भारत की सेना पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कोई ऑपरेशन कर सकती है।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत ऐसा हिंदू राष्ट्रवाद को लामबंद करने के लिए युद्ध उन्माद को भड़काना चाहता है। इमरान ख़ान ने कहा कि अगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान के पास मुँहतोड़ जवाब देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।

पाकिस्तानी पीएम ने ट्वीट कर कहा है, ''भारत ने जम्मू-कश्मीर में अब भी सबको क़ैद करके रखा है। अगर यहां से पाबंदियां हटती हैं तो क़त्लेआम की आशंका है। अगर भारत में इस तरह के विरोध-प्रदर्शन बढ़ते हैं तो पाकिस्तान पर भारत का ख़तरा और बढ़ेगा। भारतीय आर्मी प्रमुख का बयान हमारी इन चिंताओं को और आश्वस्त करता है।''

इमरान ख़ान ने अपने अगले ट्वीट में कहा है, ''पिछले पाँच सालों से मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत हिंदू राष्ट्र की तरफ़ बढ़ रहा है। इस प्रक्रिया में हिन्दू श्रेष्ठता और फासीवादी विचारधारा के ज़रिए आगे बढ़ा जा रहा है।  अब नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ वो भारतीय सड़क पर हैं जो चाहते हैं कि भारत की विविधता बनी रहे। सीएए के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन जन आंदोलन बन गया है।''

 

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