क्या ट्रंप ने महाभियोग की सुनवाई में गवाहों को धमकाने की कोशिश की?

 16 Nov 2019 ( न्यूज़ ब्यूरो )
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अमरीकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ महाभियोग जांच से जुड़ी सार्वजनिक सुनवाई का दूसरा दिन था और इसकी शुरुआत एक बार फिर धमाकेदार रही।

अमरीका के राष्ट्रपति सुनवाई के दौरान कक्ष में मौजूद नहीं थे, इसके बावजूद वहां उनकी मौजूदगी महसूस की गई।

ये सुनवाई टीवी पर लाइव चल रही थी। यूक्रेन के लिए अमरीका की पूर्व राजदूत मैरी योवानोविच जब सुनवाई के दौरान अपना बयान दे रही थीं, उसी वक्त राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्विटर के ज़रिए उन पर हमला बोला।

ट्वीट में उन्होंने मैरी योवानोविच पर सोमालिया में उथल-पुथल मचाने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, "हर जगह मैरी योवानोविच द्वेषपूर्ण होती है। सोमालिया में भी मैरी ने यही किया था। वहां क्या हुआ?"

उनके इस ट्वीट की जानकारी सभा में भी पहुंची। महाभियोग की जांच देख रही इंटेलिजेंस कमिटी के चेयरमैन एडम शिफ ने योवानोविच को इसकी जानकारी दी।  

इस पर योवानोविच ने कहा कि ये धमकी देने जैसा है। सोमालिया वाले आरोप पर योवानोविच ने कहा, "मुझे नहीं लगता मेरे पास इतनी ताक़त है। ना मोगादिशु में, ना सोमालिया में और नहीं कहीं और।''

उनका ये जवाब भी टीवी पर लाइव प्रसारित किया गया।

चेयरमैन एडम शिफ ने भी कहा कि ट्रंप के ट्वीट को चश्मदीदों को डराने-धमकाने का तरीका कहा जा सकता है।

हालांकि ट्रंप ने कहा कि उनके ट्वीट किसी को धमकाने के लिए नहीं थे।

ट्रंप ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने महाभियोग से जुड़ी सुनवाई देखी और "ये अपमानजनक है"।

रिपब्लिकन सांसदों ने भी धमकाने के दावों को खारिज किया। सांसद जिम जॉर्डन ने कहा, "चश्मदीद अपना बयान दे रही थी। अगर शिफ उन्हें ट्वीट पढ़कर नहीं बताते तो उन्हें इसके बारे में पता ही नहीं चलता।''

महाभियोग जांच में ये देखा जा रहा है कि क्या राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य मदद इसलिए रोकी थी, क्योंकि वो अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी जो बाइडन के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में जांच शुरू करनावा चाहते थे और इसी के लिए वो दबाव बना रहे थे।

हालांकि ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने कुछ भी ग़लत नहीं किया। उनका कहना है कि ये कार्यवाही "राष्ट्रपति का उत्पीड़न" करने के लिए हो रही है।

मैरी योवानोविच को मई में यूक्रेन के राजदूत के पद से हटा दिया गया था।  यानी उन्हें राष्ट्रपति ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति के बीच उस विवादित फोन कॉल के दो महीने पहले हटा दिया गया था, जिसकी वजह से ये जांच शुरू हुई है।

एक मोटे तौर पर लिखी गई ट्रांसक्रिप्ट से पता चला कि ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलिन्स्की से बाइडन और उनके बेटे के खिलाफ आरोपों की जांच करने की अपील की थी। दरअसल वे यूक्रेन की एक गैस कंपनी के बोर्ड में शामिल थे।

एक अमरीकी राजनयिक सहयोगी ने महाभियोग की जांच के दौरान बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप और यूरोपीय संघ के लिए अमरीका के राजदूत गोर्डन सोंडलैंड के बीच की बात को सुना था, जिसमें कहा जा रहा है कि "जांचों" के बारे में चर्चा हो रही थी।

विदेश मंत्रालय के अधिकारी डेविड होल्म्स ने बंद दरवाज़ों के पीछे शुक्रवार को हुई सुनवाई में बयान दिया कि सोंडलैंड ने ट्रंप को यूक्रेन के एक रेस्टोरेंट से फोन किया था।

सीबीएस न्यूज़ के मुताबिक उनके पास बयान की कॉपी है, जिसमें होल्म्स ने कहा है, "मैंने सुना कि राष्ट्रपति ट्रंप ने पूछा, क्या वो (यूक्रेन के राष्ट्रपति) जांच करेंगे?"

राजदूत सोंडलैंड ने जवाब में कहा कि 'वो करेंगे', उन्होंने कहा कि 'राष्ट्रपति ज़ेलिन्स्की हर वो चीज़ करेंगे, जो आप चाहते हो'।  

वहीं यूक्रेन के लिए अमरीका के राजदूत बिल टेलर ने अपने बयान में कहा कि उनके एक सहयोगी ने भी यही बातचीत सुनी है।

टेलर के मुताबिक सोंडलैंड ने सहयोगी से कहा कि राष्ट्रपति को यूक्रेन से जुड़े किसी भी मामलों में सिर्फ बाइडन के खिलाफ जांच से मतलब है।

ट्रंप ने कहा है कि उन्हें इस कॉल के बारे में कोई जानकारी नहीं है। कहा जा रहा है कि ये फ़ोन 26 जुलाई को किया गया था, यानी ट्रंप-ज़ेलिन्स्की के विवादित फोन कॉल के एक दिन बाद। 

 

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