भारत से प्रकाशित होने वाली अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक ख़बर के मुताबिक़ फेसबुक इंडिया ने बजरंग दल को ख़तरनाक संगठन मानने से इसलिए इनकार कर दिया था क्योंकि इससे उसके कर्मचारियों पर हमला हो सकता था और उसका कारोबार प्रभावित हो सकता था।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने ख़बर अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के हवाले से लिखी है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक बजरंग दल को ख़तरनाक संगठन में शामिल करने की मांग जून 2020 में दिल्ली के बाहर एक चर्च पर हमले के बाद से उठी थी।
बजरंग दल के सदस्यों ने इसकी जिम्मेदारी ली थी। हमला करने वालों का दावा था कि वो चर्च हिंदू मंदिर की जगह बनाया गया है।
अख़बार के मुताबिक रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि फेसबुक ने सनातन संस्था और श्री राम सेना पर प्रतिबंध के ख़तरे का भी ज़िक्र किया है।
फेसबुक की सेफ्टी टीम 2020 की शुरुआत में इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि बजरंग दल पूरे भारत में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा का समर्थन करता है और एक ख़तरनाक संगठन माना जा सकता है। हालांकि, फेसबुक इंडिया ने इस सलाह को खारिज कर दिया था।
अख़बार के मुताबिक वॉल स्ट्रीट जनरल ने फेसबुक प्रवक्ता एंडी स्टोन के हवाले से लिखा था कि बजरंग दल की वजह से उनके कर्मचारियों और कारोबार को मुश्किल हो सकती है और इसको लेकर चर्चा हुई थी। यह स्टैंडर्ड प्रक्रिया का हिस्सा था।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक न्यूज़ चैनल की वीडियो क्लिप शेयर की है जिसमें वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट दिखाई जा रही है। राहुल गांधी ने लिखा है, ''बीजेपी-आरएसएस के भारत में फेसबुक को नियंत्रित करने की एक और पुष्टि।''
वहीं, फेसबुक ने किसी राजनीतिक पार्टी के प्रति पक्षपात से इनकार किया है। फेसबुक के प्रवक्ता ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से कहा है, ''हम अपनी ख़तरनाक संगठनों और व्यक्तियों की नीति बिना किसी राजनीतिक पक्ष या पार्टी से जुड़ाव के लागू करते हैं।''
विश्व हिंदू परिषद ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से कहा है कि संगठन वॉल स्ट्रीट जर्नल के ख़िलाफ़ उसे बदनाम करने के लिए क़ानूनी कार्यवाही करेगा। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद आरएसएस परिवार का हिस्सा है।
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