दशकों से चमगादड़ के शरीर में मौजूद था कोरोना वायरस

 30 Jul 2020 ( न्यूज़ ब्यूरो )
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ऐसी संभावना है कि इंसानों को संक्रमित करने वाला कोरोना वायरस चमगादड़ों के शरीर में दशकों से मौजूद रहा हो, लेकिन इसका पता नहीं लगाया जा सका हो।

हाल में हुए एक शोध से पता चला है कि कोविड-19 बीमारी के लिए ज़िम्मेदार कोरोना वायरस, करीबी ज्ञात वायरस से 40 और 70 साल पहले चमगादड़ में पाया गया था। वैज्ञानिक मानते है कि हो सकता है कि यही वायरस अब इंसानों तक पहुंच गया हो।

उन्होंने ये ही कहा है कि इसके साथ ही इस वायरस की उत्पत्ति को लेकर चल रही ये कॉन्सिपीरेसी थ्योरी भी शक के घेरे में आ गई है कि इस वायरस को लैब में तैयार किया गया था या फिर वहीं से फैलना शुरू हुआ था।

नेचर माइक्रोबायोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुए एक शोध पर काम करने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ़ ग्लासगो के प्रोफ़ेसर डेविड रॉबर्टसन कहते हैं कि महामारी के लिए ज़िम्मेदार Sars-CoV2 वायरस आनुवंशिक तौर पर चमगादड़ों में पाए जाने वाले वायरस के नज़दीक है लेकिन दोनों में कई दशकों के वक्त का फर्क है।

वो कहते हैं, ''इसका मतलब है कि इंसानों को संक्रमित करने वाला वायरस कुछ वक्त से मौजूद था। लेकिन हमें अब तक नहीं पता कि ये कब और कैसे इंसानों में आया? अगर हम ये मानते हैं कि ये चमगादड़ों में पाया जाने वाला आम वायरस है तो इस मामले में हमें और पैनी नज़र की ज़रूरत है, हमें इसकी और निगरानी करनी होगी।''

प्रोफ़ेसर डेविड कहते हैं कि भविष्य में और महामारी न फैले इसके लिए हमें न केवल इंसानों में होने वाले संक्रमण का सर्विलांस करना होगा बल्कि जंगली चमगादड़ों का भी सेम्पलिंग करना होगा। वो कहते हैं अगर ये वायरस दशकों से मौजूद थे तो उन्हें अपने पैर फैलाने के लिए यानी संक्रमित करने के लिए दूसरे जानवर भी मिले होंगे।

इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने कोविड-19 बीमारी पैदा करने वाले Sars-CoV2 वायरस के जेनेटिक कोड का मिलान इसी से मिलते-जुलते चमगादड़ों में पाए जाने वाले RaTG13 से किया था।

शोधकर्ताओं ने पाया कि इन दोनों के पूर्वज एक ही हैं लेकिन इवोल्यूशन की प्रक्रिया में दशकों पहले दोनों एक-दूसरे से अलग होते गए थे।

यूनिवर्सिटी ऑफ़ रीडिंग के प्रोफ़ेसर मार्क पेजल इस शोध का हिस्सा नहीं हैं। वो कहते हैं कि इस शोध का इशारा इस तरफ है कि इंसानों को संक्रमित करने वाला कोरोना वायरस चमगादड़ों में 40 से 70 साल पहले से ही मौजूद था लेकिन इसका पता नहीं लगाया जा सका था।

वो कहते हैं, ''इस शोध से पता चलता है कि जानवरों से इंसानों को होने वाले संक्रमण का दायरा कितना बड़ा है। हो सकता है कि इंसानों में बीमारी पैदा करने वाले कई वायरस जानवर के शरीर में मौजूद हों लेकिन हमें उनका पता ही न हो।''

हो सकता है कि ये वायरस एक जानवर से दूसरे जानवरों में फैलते रहे हों और इनसे जंगली जनवरों के व्यवसाय से जुड़े लोग संक्रमित हुए हों।

इससे पहले हुए शोध में पता चला था कि Sars-CoV2 की उत्पत्ति में पैन्गोलिन की बड़ी भूमिका हो सकती है लेकिन ताज़ा शोध के अनुसार ऐसा नहीं है।

हो सकता है कि पैन्गोलिन को भी ये वायरस जंगली जनवरों के व्यवसाय के दौरान दूसरे जानवरों के संपर्क में आने से मिला हो।

 

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