एशियाई बाज़ारों में सोमवार को व्यापार की शुरुआत में तेल की क़ीमतों में गिरावट दर्ज की गई। ये ऐसे समय में हुआ है जब ट्रेडर्स ओपेक की उस बैठक के नतीजों का इंतज़ार कर रहे थे जिसमें तेल आपूर्ति को बढ़ाने का सुझाव आने की उम्मीद है। बीते कुछ समय से तेल आपूर्ति में कमी लाए जाने की वजह से कच्चे तेल की क़ीमतों में उछाल देखा गया है।
ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम में सोमवार सुबह 6:44 मिनट पर 27 सेंट की कमी दर्ज की गई जिसके बाद इसकी क़ीमत 42.97 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल हो गई। वहीं, वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट क्रूड ऑयल 28 सेंट की कमी के साथ 40.27 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गया।
बीते हफ़्ते कई तेल की क़ीमतों में भारी बदलाव देखने को नहीं मिला है। ये तब हुआ जब अमरीकी प्रांतों में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के बाद आवाजाही में प्रतिबंध लगाए गए। ये प्रतिबंध दुनिया के सबसे बड़े तेल उपभोक्ता देश में तेल की खपत कम कर सकते हैं।
लेकिन शुक्रवार को तेल की कीमतों में दो फ़ीसदी की बढ़त देखी गई जब इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने साल 2020 में तेल की माँग के अपने अनुमान में बढ़त करते हुए प्रतिदिन चार लाख बैरल तेल की माँग होने की बात कही।
अप्रैल में तेल के दाम अपने दशकों पुराने स्तर पर थे। लेकिन ओपेक प्लस कहे जाने वाले ओपेक और उसके सहयोगियों, जिनमें रूस भी शामिल है, ने तीन महीनों के लिए मई से तेल की आपूर्ति में 9.7 मिलियन बैरल प्रतिदिन की कमी लाने का फ़ैसला किया।
ओपेक की जॉइंट मिनिस्टेरियल मॉनिटरिंग कमेटी आगामी मंगलवार और बुधवार को आने वाले दिनों के हिसाब से कमी करने का फ़ैसला करेगी।
तेल की वैश्विक माँग और कीमतों में सुधार के बाद ओपेक और रूस तेल की आपूर्ति में बढ़ोतरी कर सकते हैं।
एक्सीकॉर्प में वैश्विक बाज़ारों के रणनीतिकार स्टीफेन इनेस कहते हैं, ओपेक प्लस के समझौते के मुताबिक़ अगले महीने से तेल उत्पादन और अमरीका के उत्पादन में कमी से आपूर्ति के समीकरण पर दबाव बन सकता है।''
पूर्वी शक्तियों की ओर से लगाए गए प्रतिबंध के बाद लीबिया ने बीते शुक्रवार को पहली बार छह महीने में अपना कच्चा तेल निर्यात किया है। लेकिन इसके बाद रविवार को एक बार फिर तेल निर्यात पर प्रतिबंध लग गया है।
लीबिया की नेशनल ऑयल कॉरपोरेशन ने संयुक्त अरब अमीरात पर आरोप लगाया है कि उसने लीबिया के गृह युद्ध की पूर्वी ताकतों को निर्देश देकर तेल निर्यात पर एक बार फिर प्रतिबंध लगवाया है।
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