अमेरिका में एक काले व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत से तमाम अमरीकी ग़ुस्से में हैं। अमेरिका में व्यापक पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं।
कई जगहों पर इन प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है और प्रशासन को राजधानी वॉशिंगटन समेत कई बड़े शहरों में रात्रि कर्फ्यू तक लगाना पड़ा है।
दरअसल, पिछले हफ़्ते अमरीका में एक गोरे पुलिस अधिकारी के हाथों हुई काले व्यक्ति जॉर्ज फ़्लायड की मौत को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
विरोध प्रदर्शनों के कारण कम से कम 40 शहरों में कर्फ्यू लगाया गया है, लेकिन इसके बाद भी लोग सड़कों पर उतर रहे हैं।
ज़ाहिर है इन प्रदर्शनों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चिंता भी बढ़ा दी है।
इसी साल के आख़िर में राष्ट्रपति चुनाव भी होने हैं। एक तरफ़ ट्रंप कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहे हैं, वहीं अब इस हिंसा ने उनके लिए नई सियासी मुश्किल पैदा कर दी है।
ट्रंप ने बढ़ती हिंसा पर चेतावनी देते हुए कहा कि अगर राज्यों के गवर्नर हालात पर क़ाबू पाने में विफल रहे तो शांति स्थापित करने का काम सेना को सौंपा जाएगा।
यही नहीं उन्होंने आरोप लगाया कि अमरीकी नागरिक जॉर्ज फ़्लायड की मौत को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों की आड़ में एंटीफ़ा ने दंगे भड़काए हैं। उन्होंने ये भी कहा कि फ़ासीवाद विरोधी समूह एंटीफ़ा को आतंकवादी संगठन घोषित किया जाएगा।
इस बीच, अमरीका के एक प्रमुख शहर ह्यूस्टन के पुलिस प्रमुख आर्ट अक्वेडो का एक बयान भी सुर्खियों में आ गया है। एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चुप रहने की नसीहत दे डाली।
अक्वेडो का कहना था, ''मैं इस देश के पुलिस प्रमुखों की तरफ़ से अमरीकी राष्ट्रपति से कहना चाहता हूँ कि अगर आप कोई ढंग की बात नहीं कर सकते तो अपना मुंह बंद रखिए।''
अक्वेडो ने कहा, "आप साल 2020 में लोगों को ख़तरे में डाल रहे हैं। यह समय लोगों के दिल जीतने का है ना कि उन्हें धमकाने का। पूरे देश में पुलिस अधिकारी घायल हुए हैं, लोग घायल हुए हैं। ऐसे में हमें नेतृत्व की ज़रूरत है, लेकिन नेतृत्व हमें दुखी कर रहा है। आप एक राष्ट्रपति हैं और उसके लिहाज़ से फ़ैसले लीजिए। यह हॉलीवुड नहीं है। यह असली जीवन है और यह ख़तरे में है।''
यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोग पुलिस प्रमुख अक्वेडो की तारीफ़ कर रहे हैं और ट्रंप की आलोचना।
वाल डेमिंग्स ने ट्वीट किया, ''जब हमने ट्रंप पर महाभियोग चलाया था, तो हमने चेतावनी दी थी कि वो तानाशाही की तरफ़ बढ़ रहे हैं। मैंने तब जो आशंका जताई थी, उस पर अब यक़ीन हो गया है। यह राष्ट्रपति लोकतंत्र, हमारे परिवार और हमारे लिए ख़तरा है।''
गवर्नर क्रिस्टीन टॉड विटमैन ने ट्वीट किया, ''कृपया आप इस संकट से दूर ही रहें। गवर्नर्स को ना बताएं कि उन्हें क्या करना है। लोगों से शांत और एकजुट रहने की अपील करने के बजाय आप व्हाइट हाउस के बेसमेंट में हैं और चुप हैं। जबकि गवर्नर और मेयर सक्रिय हैं।''
हालाँकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पुलिस की भूमिका से संतुष्ट नहीं हैं और उन्होंने सोशल मीडिया पर इसे लेकर सवाल भी उठाए हैं।
एच रोजर्स ने लिखा है, ''मैं अमरीका के पुलिस प्रमुखों से कहना चाहूँगा कि अगर आप अपना काम नहीं कर सकते, लोगों का जीवन और उनकी संपत्ति नहीं बचा सकते तो किनारे हो जाइए और किसी और को ये काम करने दीजिए।''
अमरीका में पिछले एक हफ्ते में ज़ोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं। लोगों की नाराज़गी एक वीडियो क्लिप के वायरल होने के बाद सामने आई है जिसमें एक गोरा पुलिस अधिकारी जॉर्ज फ़्लॉयड नाम के एक निहत्थे काले व्यक्ति की गर्दन पर घुटना टेककर उसे दबाता दिखता है।
इसके कुछ ही मिनटों बाद 46 साल के जॉर्ज फ़्लॉयड की मौत हो गई।
वीडियो में देखा जा सकता है कि जॉर्ज और उनके आसपास खड़े लोग पुलिस अधिकारी से उन्हें छोड़ने की मिन्नतें कर रहे हैं।
पुलिस अधिकारी के घुटने के नीचे दबे जॉर्ज बार-बार कह रहे हैं कि ''प्लीज़, आई कान्ट ब्रीद (मैं सांस नहीं ले पा रहा)''। यही उनके आख़िरी शब्द बन गए। अमरीका के कई शहरों में प्रदर्शनकारी 'आई कॉन्ट ब्रीद' का बैनर लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।
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